इंदौर जनपद मे कागजो पर खुले मे शौच मुक्त

इंदौर। जनपद पंचायत इंंदौर की 64 ग्राम पंचायत व उनसे जुडे  गांवो को खुले में शौच मुक्त करने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत 8000 शौचालय बनाने का लक्ष्य दिया था। हर शौचालय पर पंचायत के जरिए ₹12500 खर्च करना थे। लेकिन जिला पंचायत ,जनपद पंचायत व  ग्राम पंचायत की मिलीभगत से 12500 का शौचालय मात्र 7000से 8000 रुपय में घटिया और निम्न स्तर का बना दिया ।जो कुछ दिनो बाद ही धराशायी हो गये।


शौचालय नही होने से लोग खुले मे शौच कर रहे है।शौचलय बनाने मे भी भारी भ्रष्टाचार हुआ।यदि शौचालयो की मैदानी व सुक्ष्म जाँच हो तो मोदी के पवित्र जनहितैषी अभियान मे बहुत बडी गडबडी सामने आयेगी। जनपद सीईओ, पंचायत निरीक्षक, पी.सी.ओ. ,इंजीनियर, एडीओ,सचिव व रोजगार सहायक की मिली जुली भुमिका के चलते एक शौचालय पर लगभग चार से पाँच हजार रुपये कम लगे है।ईमानदारी से 12500 रुपये पुरे लग जाते तो शौचालय मजबुत व टिकाऊ बन जाता ओर लोगो को खुले मे शौच करने के लिये मजबुर नही होना पडता। शौचालयों के मुल्यांकन का काम भी इंजीनियर से नही करवाया।बालूरेत की जगह।काले पत्थर की चुरी से जुडाई कर दी। देपालपुर विधानसभा क्षेत्र मे शौचालयों मे हुए भारी भ्रष्टाचार को विधायक विशालपटेल ने गंभीरता से  संज्ञान में लिया है ।और जांच कराने के आदेश भी दिए हैं। इसी तरह राऊ ,सावेंर व महु विधायक   को भी शौचालयों में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाना चाहिए।